AMAN AJ

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आर्य और काली छड़ी का रहस्य-29


    अध्याय-10
    साजिश का पर्दाफाश
    भाग-1

    ★★★
    
    आचार्य अपने सामने तीनों को देखकर हैरान थे। वह तीनों को ही जानते थे और आज सुबह आश्रम में उसकी तीनों से मुलाकात भी हुई थी। उन्होंने तीनों को देखते ही अपने हाथ में पकड़ी छड़ को उनकी ओर किया जिस के ठीक बाद वह तीनों ही पहले जैसे हो गए।
    
    जैसे ही तीनों वापस इंसान बने सब तेजी से प्रतिक्रिया देने लगे। आयुध ने कैमरा सामने किया और तीन चार फोटो एक साथ ले ली। वही हिना ने आचार्य ज्ञरक को देखते हुए कहा “हमें आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी। आप तो इस आश्रम के सबसे युवा आचार्य में से आते हैं, और दूसरे ऐसे आचार्य भी हैं जो अचार्य वर्धन के बाद सबसे ज्यादा ताकत रखते हैं। इसके बावजूद आपने आश्रम से गद्दारी की। अपने आश्रम में रहकर अंधेरे का साथ दिया।”
    
    हिना के बोलते ही आर्य ने भी कह दिया “मैं आपको ज्यादा तो नहीं जानता, मगर आप जो भी कर रहे हैं वह बिल्कुल गलत है। मुझे अंधेरे के बारे में भी ज्यादा नहीं पता लेकिन उनके कामों से मैं इतना तो जान गया हूं कि वह खतरनाक है। सिर्फ मेरे या आपके लिए नहीं, ना ही इस पूरे आश्रम के लिए, अंधेरा इस पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा है। ऐसे में आपको उनका साथ नहीं देना चाहिए।”
    
    यह सब सुनकर आचार्य ज्ञरक के चेहरे पर अजीब से भाव आ गए। जैसे मानो उन्होंने पता नहीं क्या ही सुन लिया हो। वह सामने से बोले “तुम दोनों यह किस तरह की बातें कर रहे हो? तुम्हारी बातों का ना तो कोई सर है ना ही कोई पैर।”
    
    यह सुनकर आयुध बोला “त त‌ त... देखो तो सही, हमारे आश्रम के दूसरे ताकतवर अचार्य कैसे भोले बनने का नाटक कर रहे हैं। और इनके नाटक की भी दाग देनी पड़ेगी, बिल्कुल परफेक्ट तरीके से बोल रहे हैं। लग ही नहीं रहा कि इन्होंने कोई नकली ड्रामा किया है।”
    
    हिना आयुध से बोली “परफेक्ट तो होंगे ही ना। ‌इतने साल आश्रम में रहकर आश्रम को धोखा देना आसान काम थोड़ी ना है।”
    
    आचार्य ज्ञरक को यह सुनकर गुस्सा आ गया। वह गुस्से में तीनों से बोले “अपनी बकवास बंद करो। कुछ भी कहने से पहले सौ बार सोच लिया करो। और तुम तीनों को यह भी ध्यान देना चाहिए कि तुम इस वक्त कहां और किसके सामने खड़े हो।”
    
    “हम जानते हैं हम किस के सामने खड़े हैं।” आयुध भी गुस्सा दिखाते हुए बोला “हम आश्रम के एक गद्दार अचार्य के सामने खड़े हैं। ‌ ऐसे गद्दार आचार्य के सामने जिसने आश्रम को धोखा दिया। जिसने अंधेरे का साथ दिया।”
    
    आचार्य ज्ञरक के गुस्से में थोड़ी सी और बढ़ोतरी हुई “तुम तीनों मेरी ईमानदारी पर शक कर रहे हो.... वह भी बिना किसी सबूत के...? मैं ऐसा काम जिंदगी में कभी भी नहीं कर सकता।”
    
    हिना ने इस बार आयुध को बोलने का मौका नहीं दिया “आप हमारे सामने खड़े हैं। इससे बड़ा सबूत और क्या चाहिए। हमारे सामने इस क़िले में आकर आप दीवार के पीछे केद अंधेरी परछाइयों को आजाद करवाने की कोशिश करने वाले थे। शायद आपने यह कोशिश कर भी दी होगी।”
    
    “मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया... और ना ही मैं कुछ ऐसा करने वाला था। मेरे इरादे अंधेरी परछाइयों को आजाद करवाने के बिल्कुल भी नहीं है।”
    
    “तो आपका क्या इरादा है...?” हिना सवाल दागते हुए बोली “आप यहां आकर आखिर करना क्या चाहते थे?”
    
    आचार्य ज्ञरक चले और चलते हुए थोड़ा सा पीछे हो गए। वहां उन्होंने कहा “लगता है मुझे तुम तीनों को सच बताना ही होगा। दरअसल मैं यहां अंधेरी परछाइयों को आजाद करवाने के लिए नहीं आया था.... बल्कि यह पता करने के लिए आया था कि कौन उन्हें आजाद करवाने की कोशिश कर रहा है।”
    
    “मतलब..” आर्य ने आश्चर्य दिखाया। बाकी सभी हैरान थे।
    
    “मतलब यह कि यह बात सच है आश्रम में कोई तो है जो अंधेरी परछाइयों को आजाद करवाना चाहता है। और मुझे भी इस बारे में पता चल गया था। इन सब की शुरुआत कल से हुई थी। कल आचार्य वर्धन के जाने के बाद गुफा में शक्ति मंत्रण हो रहा था। उसी शक्ति मंत्रण में मैं उठकर पानी पीने गया तो पता चला वहां काली छड़ी नहीं है। उस छड़ी को लापता देख कर मैं तुरंत समझ गया कि कोई उस छड़ी को ले गया है। छड़ी को ले जाने का सिर्फ एक ही उद्देश्य हो सकता है और वह है दीवार के पीछे अंधेरी परछायों को आजाद करवाना।”
    
    “क्या इसके पीछे कोई खास वजह है...” हिना ने एक बार के लिए सवाल किया “मतलब आप कैसे कह सकते हैं कि आपको काल छड़ के गायब होने के बाद ही पता चला कि कोई उन्हें आजाद करवाना चाहता है?”
    
    “हां मेरे पास इसकी खास वजह है।” आचार्य ज्ञरक उसकी और पलटें “आज से 12 साल पहले आश्रम पर अंधेरी परछाइयों में भयंकर संख्या में पर हमला कर दिया था। उस संख्या से निपटने के लिए आश्रम के आचार्य, आचार्य वर्धन ने ने काली छड़ का इस्तेमाल किया था। जो कि दुनिया की सबसे ताकतवर छड़ है और उसे शैतानों द्वारा बनाया गया है। उसके इस्तेमाल से एक तो आश्रम का सुरक्षा चक्कर बन गया, और एक उस सुरक्षा चक्कर के अंदर आने वाली सभी परछाइयां किले की दीवार के पीछे कैद हो गई। काली छड़ की वजह से कैद हो जाने के कारण उन्हें वापस आजाद करवाने के लिए काली छड़ की ही जरूरत पड़ने वाली थी। यही वह खास वजह है जिससे मुझे काली छड़ के गायब होते ही पता चल गया कि कोई उन्हें आजाद करवाने की कोशिश कर रहा है।”
    
    “समझ गई।” हिना बोली “किसी भी जादू को तोड़ने के लिए उसी चीज की आवश्यकता पड़ती है जिससे जादू किया गया है। हमें भी यहां किले में आने से पहले किले के अतिरिक्त सुरक्षा के किए गए जादू को तोड़ने की आवश्यकता पड़ी थी, और इसके लिए हमने आचार्य वर्धन की छड़ का इस्तेमाल किया।”
    
    “हां।” आचार्य ज्ञरक बोले “कल मुझे पता लगने के बाद मैं तुरंत यहां आ गया।‌ यहां आने के बाद मैंने किले के अंदर जाने की कोशिश की, मगर आचार्य वर्धन के जादू की वजह से मैं जा नहीं सका। तब मैंने वहीं रह कर किले की निगरानी की। सोचा जो अंदर गया है वह बाहर भी तो आएगा। मगर सुबह तक कोई भी नहीं आया। इस बात से मैंने यह अंदेशा जताया कि अंदर जाने वाला अंदर ही रह गया है। इसके बाद मुझे उस अंदर जाने वाले शख्स की सच्चाई बाहर लाने के लिए किले के अंदर जाने की जरूरत पडी़। मैं सुबह कार्यालय में आया तो वहां मुझे सारे आचार्य मिले। हालांकि मैंने किसी को भी इस बारे में बताया नहीं क्योंकि अचार्य वर्धन यहां नहीं थे। वहां तुम लोग भी आए थे मगर तुम लोगों ने कोई खास बात नहीं की। ‌ तुम लोगों के जाने के बाद मैंने आचार्य वीरसेन से थोड़ा सलाह मशवरा किया। वह यहां के दूसरे बुजुर्ग आचार्य‌ है। मैंने उनसे दूसरे तरीके से किले में जाने का रास्ता पूछा, तो उन्होंने मुझे बताया मैं उन दो छड़ीयों में से किसी भी छड़ को लेकर किले में जा सकता हूं। वो‌ दोनों ही छड़े आचार्य वर्धन की छड़ से ज्यादा ताकतवर हैं तो उनके जादू का असर नहीं होगा।”
    
    आयुध ने सवाल किया “क्या आपके दिमाग में यह नहीं आया कि आपको आचार्य वर्धन की छड़ ही ले जानी चाहिए?”
    
    “ऐसा कोई जरूरी नहीं था आयुध।” हिना बोली “किसी भी रास्ते का इस्तेमाल किया जा सकता है।”
    
    आर्य ने बीच में उस दृश्य को याद करते हुए कहा जिसमें उसने और आयुध ने लाल और काली रोशनी से चमकने वाली छड़ को किले में जाते हुए देखा था। “मतलब अभी आज हमने आपको किले में आते हुए देखा था। इसके बाद से ही हम यहां किले में आए, क्योंकि हमें यह शक होने लगा था कि यहां किले में कुछ तो गड़बड़ है।”
    
    आचार्य ज्ञरक बोले “हां तुम लोगों ने मुझे ही देखा था। मगर मैं तुम लोगों के बारे में नहीं जानता था। मुझे नहीं पता था मेरे अलावा कोई और भी इस साजिश का पर्दाफाश करने वाला है।”
    
    “तो आपने क्या किया?” हिना ने उनसे पूछा “ क्या आपको यहां आकर पता चला कि इन सब में कौन है?”
    
    “नहीं अभी तो नहीं। मैं किले के दूसरे रास्ते से यहां आया हूं जो कि लंबा पड़ता है। यहां आते ही मेरी नजर तुम तीनों पर पड़ी। तुम तीनों ही सामने दीवार की तरफ जा रहे थे तो मैंने जादू कर दिया।” इसके बाद आचार्य ज्ञरक ने तीनों से पूछा “लेकिन तुम लोग.... क्या तुम लोग आज मुझे देखकर ही किले में आए या तुम लोगों की कहानी कुछ और है...?”
    
    आर्य उनसे बोला “दोनों ही हमारे इस किले में आने की वजह है। वैसे हम किले में नहीं आना चाहते थे, हम आप लोगों से ही इस बारे में बात करना चाहते थे। मगर हमारे पास आप लोगों से बात करने के लिए सबूत नहीं थे। और बिना सबूत के हम अपनी बात को साबित नहीं कर सकते थे। हमने परसों किसी को इस किले मैं जाते हुए देखा था, जिसने सफेद चोगा पहन रखा था। उसके बाद ही हम उसके पीछे पड़ गए थे। सुबह जब आपके पास आए थे तो हम आपसे यही बात करने वाले थे। लेकिन मैंने कहा ना हमारे पास सबूत नहीं थे, तो हमने इस बात को आगे नहीं बढ़ाया। फिर हमने यह प्लानिंग की कि हम गद्दारी करने वाले को रंगे हाथों पकड़ेंगे। उसी सिलसिले में हम यहां तक पहुंच गए।”
    
    “शायद तुम तीनों को सुबह ही बात कर लेनी चाहिए थी..?” आचार्य ज्ञरक चलते हुए उनके पास आ गए “अगर तुम तीनों सुबह बात करते हैं तो मुझे मजबूती मिलती और मैं वहां सबके सामने इस पर कार्यवाही करने के लिए कह देता।”
    
    “हम कैसे करते आचार्य...” हिना ने सुबह की बात को लेकर अपनी बात कही “आर्य ने कहा कि हमने सफेद चोगे वाले किसी शख्स को अंदर जाते हुए देखा था।‌ इसलिए सबूत के साथ साथ हमें इस बात का भी शक था कि इसमें कोई अचार्य मिला हुआ है। वो भी कोई ऐसा जो सफेद चोगा पहनता है। आश्रम में आचार्य वर्धन को छोड़कर कोई भी और सफेद चोगा नहीं पहनता। ऐसे जो शक था वो यही था कि अंदर जाने वाला आपमें से ही कोई एक होगा। यह शक हमारे लिए एक वजह बना सुबह बात ना करने का।”
    
    हिना के कहने पर आचार्य ज्ञरक ने उन तीनों की मजबूरी को समझो। मगर उनका ध्यान उस शब्द पर भी चला गया जो हिना ने ज्यादा मजबूती से कहा था। “सफेद चोगे वाला आचार्य...” वह दोहराते हुए बोले “मगर शक्ति मंत्र में तो हम सातों ही मौजूद थे। हमसे तो किसी ने भी गद्दारी नहीं की। हम ही यहां सफेद चोगा पहनते हैं.... जब हमने यह नहीं किया तो फिर कौन...?”
    
    यह सवाल सबके लिए हैरानी का कारण बन गया। क्योंकि अब तक आर्य हिना और आयुध का यही सोचना था कि आश्रम का गद्दार सफेद चोगा पहनने वाले आचार्यों में से ही कोई एक होगा। मगर अब सच सामने आया की आश्रम का गद्दार इनमें से कोई नहीं था। 
    
    आयुध ने भी अपनी तरफ से एक सवाल दाग दिया “अगर आप सातो में से कोई भी इस साजिश में शामिल नहीं... तो फिर इस साजिश में कौन शामिल होगा?”
  
    आचार्य ज्ञरक सामने उस दरवाजे की तरफ देखने लगे जो उस दीवार की तरफ जाता था जिसके पीछे अंधेरी परछाइयां कैद है। वह उसे देखते हुए बोले “यह तो अब तभी पता चलेगा जब हम इस दरवाजे को पार कर दीवार के पास जाएंगे। वहां दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।”
    
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